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लेखनी कहानी -05-Mar-2022 आई मिस यू

तुम्हें क्या पता 

कि मैं तुम्हें कितना चाहता हूं 
कितना प्यार करता हूं 
तुम्हें क्या, मुझे ही नहीं पता 
कभी सोचता हूँ कि 
मैं तुम्हें इतना प्यार करता हूँ 
जितना सागर नदी से करता है 
जितना भंवरा, फूल से करता है 
जितना परवाना, शमा से करता है 
लेकिन ये दूरियां ? 
रेल की पटरी की तरह 
नदी के किनारों की तरह 
शायद उम्र ऐसे ही गुजर जाए 
मैं तुम्हें बस, देखता रहूं 
और तुम खुशबू की तरह मुझमें समा जाओ । 
तुम कल्पना भी नहीं कर सकती हो 
कि मैं तुम्हें कितना "मिस" करता हूं 
ये जो मेरे चेहरे पे सदा मुस्कान रहती है 
उसके पीछे के गम मैं छुपा लेता हूं 
कभी मेरी आंखों में झांककर देखना 
वहां तुम्हारी कमी नजर आयेगी 
मेरे दिल पर हाथ रखकर महसूस करना 
धड़कनों में तुम्हारा ही नाम धड़क रहा है 
तुम्हारा प्यार मेरी नस नस में 
लहू बनकर बह रहा है 
तुम क्या जानो , प्यार की गहराइयां 
कभी दिल में उतर कर देखते तो पता चलता 
कभी अहसासों में टटोलते तो पता चलता 
मेरे लबों पर कभी आह आई क्या ? 
आंखों से दिखी जुदाई क्या ? 
ये सब तुम कभी देख नहीं पाओगी 
क्योंकि दर्द छुपाना मुझे बखूबी आता है 
उसे पहचान पाओ तो जानू ? 

हरिशंकर गोयल "हरि"
5.3.22 

   5
6 Comments

Abhinav ji

06-Mar-2022 09:23 AM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Mar-2022 01:37 AM

आभार आपका जी

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Swati chourasia

05-Mar-2022 05:48 PM

बहुत खूब 👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

06-Mar-2022 06:12 AM

धन्यवाद मैम

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Inayat

05-Mar-2022 11:57 AM

बहुत खूब

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

06-Mar-2022 06:11 AM

धन्यवाद मैम

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